आरोग्यालय पायदान - 4 (जवानी का जोश पत्थर पचाले पर अपमान का कण नहीं)
आज चर्चा का विषय है पाचन संस्था कहते है,जवान व्यक्ति पत्थर भी पचाए , इतनी उसकी शरीर की पाचन संस्थान मजबूत होती है। और हम ये भी जानते है की जवान ,गरम खून वाले व्यक्तियों में बहुत सक्षमता होती है ,उन्हे जरूरत होती है तो बस राह दिखाने वाले की, वो तपते लोहे की तरह होते है,उन्हे जरूरत होती है अच्छे हथौड़े की जो उनकी शक्सियत को आकार दे। पाचन संस्थान आप सब इनसे परिचित है,आपको लगता है की ये large intestine याने मोटी आंत है। पर ये सिर्फ इसका एक हिस्सा है। पाचन का अर्थ है परिवर्तन/परिणमन हम जो भी आहार सेवन करते है ,ये जरूरी हो जाता है की उसका रूपांतर हमारे शरीर में मौजूद भावों के समान हो जाए मान लीजिए आपने एक केला खाया आपने जिस स्वरुप में उसे खाया है उस स्वरूप में वह आपका शारीरिक भाव नहीं बन सकता... खाए हुए केले से शरीर का पोषण हो ... इसके लिए जरूरी है कि उस केले के परमाणु हमारे शरीर के परमाणु समान परिवर्तित हो जाए...यह कार्य जो संस्था करती है वह है पाचन संस्था पाचन याने खाए हुए अन्न पदार्थो का शरीर रूपी भावों में परिवर्तित होकर, अपाचित शेष भाग का शरीर के बाहर शौच द्वारा न...